रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु
देव साय के नेतृत्व और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के
मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा बाल श्रम की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे
प्रयासों को प्रदेश स्तर पर सख्ती के साथ क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रशासनिक
प्रतिबद्धता, जन-जागरूकता और कड़ी
निगरानी के माध्यम से बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा और गरिमामय
जीवन की ओर अग्रसर करने का संकल्प लिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस
के अवसर पर छत्तीसगढ़ में बाल श्रम उन्मूलन के लिए जिलेवार अभियान चलाया गया।
महासमुंद और कोण्डागांव सहित विभिन्न जिलों में प्रशासन,
श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग,
शिक्षा विभाग, पुलिस तथा बाल संरक्षण इकाई के
संयुक्त प्रयासों से बाल श्रमिकों की पहचान, पुनर्वास और
जन-जागरूकता की दिशा में व्यापक गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
महासमुंद में कलेक्टर श्री विनय
कुमार लंगेह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेते
हुए निर्देश दिए कि जिले में बाल श्रम की किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया
जाएगा। उन्होंने संयुक्त जांच दल को होटल, ढाबा,
निर्माण स्थल, दुकानों एवं अन्य संभावित
स्थलों पर निरीक्षण करने कहा। साथ ही विकासखंड स्तर पर बाल श्रम विरोधी रैली,
पोस्टर प्रदर्शनी और स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित करने के निर्देश
दिए। बाल श्रमिकों के पहचान हेतु 15 जून से 30 जून तक जिले में विशेष अभियान चलाया जाएगा। कलेक्टर ने बाल संरक्षण समिति
की मासिक बैठक आयोजित कर सतत समीक्षा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूल
से बाहर रह रहे बच्चों को पुनः स्कूल में लाया जाएगा और उनके परिवारों को शासकीय
योजनाओं से जोड़ा जाएगा। बाल श्रम की रोकथाम हेतु बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005
की धारा 13, 14 व 15 के
तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन. पात्र ने
बताया कि वर्ष 2024 में 92 संस्थानों का निरीक्षण किया गया, जिनमें से 14
के विरुद्ध श्रम न्यायालय में अभियोजन दायर किया गया। न्यायालय ने 9
संस्थानों को 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से
दंडित किया। वहीं 2025 में अब तक 52 संस्थानों
का निरीक्षण हुआ, जिसमें 12 संस्थानों
पर सूचना बोर्ड न लगाने पर अभियोजन दायर किया गया है।
14 वर्ष से कम आयु के
बच्चों का नियोजन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। वहीं 14 से 18
वर्ष के किशोरों को खतरनाक और अधिसूचित व्यवसायों में कार्य कराना
दंडनीय अपराध है। इनमें होटल, ढाबा, ईंट-भट्ठा,
पत्थर खदान, बीड़ी उद्योग, ऑटो गैरेज, घरेलू काम, आदि
शामिल हैं। दोषी पाए जाने पर 6 माह से 2 वर्ष तक की सजा या 20 हजार से 50 हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। बाल श्रम की शिकायत के
लिए टोल फ्री हेल्पलाइन 1098 और 1800-2332-197 पर संपर्क किया जा सकता है।
कोण्डागांव
में चला विशेष निरीक्षण अभियान, दो
बच्चों का रेस्क्यू कर पुनर्वास
कोण्डागांव जिले में कलेक्टर श्रीमती
नुपूर राशि पन्ना के मार्गदर्शन में श्रम विभाग, जिला
बाल संरक्षण इकाई, पुलिस व चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम द्वारा
बाल श्रमिकों और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के चिन्हांकन और पुनर्वास के लिए
अभियान चलाया गया। ढाबों, होटल, मोटर
गैरेज, दुकानों में निरीक्षण कर संचालकों को समझाइश दी गई।
दो बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिन्हें परिवार के पास सुरक्षित पुनर्वासित किया गया तथा शिक्षा विभाग के
माध्यम से स्कूल से जोड़ा जाएगा।