गरियाबंद : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद
में शुक्रवार की शाम मोतीपानी जंगल में जो कुछ हुआ, वह
किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था. एक तरफ जंगल में छिपे हथियारबंद नक्सली, दूसरी तरफ सर्चिंग पर निकली सुरक्षा बलों की टीम. गोलियों की आवाज़ों के बीच
जो नाम सामने आया, वह था साकेत उर्फ योगेश उर्फ आयतु.
लेकिन सवाल ये है –
आखिर कौन था ये साकेत? और वो वहां क्या करने
आया था?
पुलिस के मुताबिक,
बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र का साकेत कोई आम नक्सली नहीं था.
वह नक्सल संगठन में एक भरोसेमंद चेहरा था, जिसने सालों से
सीनियर माओवादी नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहा है. कहा जा रहा है कि वह
डीबीसी (डिविजन बॉडी कॉम्बैट) का सदस्य था और नक्सलियों के बड़े नेताओं का निजी
बॉडीगार्ड भी.
घात लगाए बैठा था साकेत
शुक्रवार को जब सुरक्षा बल सर्चिंग
के लिए निकले, तब मोतीपानी के जंगल में
साकेत अपने साथियों के साथ घात लगाए बैठा था. उसका मकसद सुरक्षाबलों पर हमला कर
उनके हथियार लूटना था लेकिन योजना नाकाम रही. पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की और करीब 40
मिनट तक चली मुठभेड़ के बाद साकेत मारा गया.
बरामद हुए हुए ये सामान
मौके से एक एसएलआर राइफल,
बम, कारतूस, नक्सली
साहित्य और कुछ जरूरी सामान बरामद हुए. बाकी नक्सली अंधेरे का फायदा उठाकर भाग
निकले. साकेत की मौत से ये तो साफ है कि नक्सली संगठन का एक मजबूत मोहरा गिर चुका
है. लेकिन जंगल की चुप्पी के पीछे अभी भी बहुत से राज़ छिपे हैं.