बिलासपुर : जिला स्थित छत्तीसगढ़ हाई
कोर्ट में कर्मचारी की मौत के 11 साल
बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. इस मामले की सुनाई
के दौरान कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट की ओर से कहा गया कि
याचिकाकर्ता और मृत कर्मचारी के रिश्ते को लेकर विवाद है. इस विवाद का निपटारा
करना दायर याचिका के क्षेत्राधिकार से बाहर है.
12 साल बाद अनुकंपा
नियुक्ति की मांग
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में भृत्य के पद
पर कार्यरत कर्मचारी की मौत के 12 साल
बाद एक युवक ने खुद को मृतक कर्मचारी का बेटा होने का दावा करते हुए अनुकंपा
नियुक्ति की मांग की. सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता और मृत कर्मचारी
के रिश्ते को लेकर विवाद है. इस विवाद का निपटारा करना दायर याचिका के
क्षेत्राधिकार से बाहर है. इसके साथ ही याचिका खारिज करते हुए मामले के निपटारे के
लिए सिविल कोर्ट में मामला दायर करने की छूट दी है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका
में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रमुख पक्षकार बनाया था.
जानें पूरा मामला
बिलासपुर के यदुनंदन नगर के रहने
वाले गणेश नायडू छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में भृत्य के पद पर कार्यरत थे. 16
जून 2010 को उनकी मृत्यु हो गई. उनकी पत्नी
पूजा नायडू भी हाई कोर्ट में काम करती थीं, लेकिन बाद में
उनकी भी मृत्यु हो गई. इसके बाद गणेश नायडू की बेटी ऋचा नायडू को अनुकंपा नियुक्ति
दी गई, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. इसके बाद उसलापुर के
निवासी नीलकांत नायडू ने 9 फरवरी 2022 को
खुद को गणेश नायडू का बेटा बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. 26
मई 2022 को हाई कोर्ट प्रशासन ने इस आवेदन को
खारिज कर दिया. इसके खिलाफ नीलकांत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
पहली पत्नी का बेटा होने
का दावा
नीलकांत ने दावा किया कि वह गणेश
नायडू की पहली पत्नी रेशमा का बेटा है और अभी उसकी मां और बहन की आर्थिक
जिम्मेदारी उसी पर है. उसने 14 जून 2013
के शासन के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें मृत
कर्मचारी के आश्रित बेटे को अनुकंपा नियुक्ति का हकदार बताया गया. हालांकि,
कोर्ट में पेश दस्तावेजों से पता चला कि गणेश नायडू ने अपनी सर्विस
बुक में सिर्फ पत्नी पूजा नायडू और बेटी ऋचा नायडू का नाम दर्ज किया था. परिवार की
सूची में नीलकांत का कोई जिक्र नहीं था. पूजा नायडू के शपथ पत्र में भी साफ कहा
गया था कि ऋचा ही उनकी और गणेश नायडू की एकमात्र संतान है. उन्होंने यह भी बताया
कि बाकी बच्चे गणेश के बड़े भाई के हैं.
हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि
नीलकांत यह साबित नहीं कर सका कि वह मृत कर्मचारी का बेटा है. सिर्फ दस्तावेज या
शपथ पत्र से यह दावा सिद्ध नहीं हो सकता, जब
तक कि ठोस कानूनी सबूत न हों. यह मामला पारिवारिक रिश्तों और उत्तराधिकार से जुड़ा
है इसलिए इसे सिविल कोर्ट में तय करना बेहतर होगा. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि
कर्मचारी की मृत्यु के समय उनकी पत्नी पूजा नायडू नौकरी पर थीं. इसलिए नियमों के
मुताबिक ऐसे मामले में अनुकंपा नियुक्ति का तुरंत हक नहीं बनता. कोर्ट ने याचिका
खारिज कर दी और नीलकांत को सिविल कोर्ट में मामला दायर करने की इजाजत दी.