रायपुर : प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि पूर्वमंत्री राजेश मूणत कितनी भी गलत बयानी कर ले रायपुर का एक्सप्रेस-वे, स्काईवॉक
भाजपा की भ्रष्टाचार की स्मारक के रूप में छत्तीसगढ़ की जनता के सामने खड़ी
है। तत्कालीन भाजपा सरकार के लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत द्वारा बिना किसी
आवश्यकता के रायपुर शहर में एक स्काई वॉक बनाने का प्रोजेक्ट अपने रसूख का प्रयोग
करके पास करवा दिया जिसका कोई औचित्य या आवश्यकता ही नहीं थी। जनता द्वारा भी
स्काई वॉक निर्माण के प्रोजेक्ट को लेकर तत्कालीन सरकार का विरोध किया गया था तथा
मंत्री श्री मूणत जी के मंसूबों को लेकर प्रश्न चिन्ह लगाया गया था। उक्त
प्रोजेक्ट तत्कालीन भाजपा सरकार और लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहे श्री राजेश
मूणत के भ्रष्टाचार के जीते जागते उदाहरण के रूप में रायपुर में मौजूद है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने 15 वर्ष शासन काल में जिस
प्रकार से शासकीय धन का दुर्विनियोजन किया, भ्रष्टाचार किया
उसका एक बहुत छोटा सा उदाहरण स्काईवॉक प्रोजेक्ट है जो दिन प्रतिदिन रायपुर की
जनता को उनके साथ हुये विश्वघात, उपेक्षा और धोखाधड़ी की याद
दिलाता है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि राज्य सरकार अधूरे स्काईवॉक पर पैसा खर्च करने के बजाय आम जनता की मांग के
अनुरूप फ्लाई ओवर बनाने की दिशा में आगे बढ़े। जिसे वर्तमान एवं भविष्य में भी
यातायात समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। स्काईवॉक योजना के खिलाफ शहर की जनता
बुद्धिजीवी वर्ग, व्यापारी, डॉक्टर सभी
वर्ग थे। आज सरकार ने अधूरे स्काईवॉक को पुनः बनाने का फैसला किया है इसके खिलाफ
ही आम जनता की प्रतिक्रिया आ रही है। सरकार को स्काईवॉक को बनाने के निर्णय पर
पुनर्विचार करना चाहिए और शहर के भविष्य के मांग के अनुरूप फ्लाई ओवर बनाने पर
योजना बनानी चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा
कि अब एक बार फिर भ्रष्टाचार की इस इमारत को पूरा करने के लिए 37 करोड़ से अधिक राशि खर्चा किया जाना जनता के पैसे की बर्बादी है। एक आदमी
के जिद और अहंकार की संतुष्टि के लिए फिजूल का निर्माण कार्य कराया जा रहा।
भाजपा सरकार के समय स्काईवॉक का जो ठेका हुआ था उसको देखने से ही
पता चलता है कि इसके टेंडर प्रक्रिया में पूरी तरह अनियमितता बरती गई थी। स्काईवॉक
के निर्माण के पहले जो प्रक्रिया अपनाई गई जो गड़बड़ियां हुई वह इस प्रकार थी-
1. 50 करोड़ रूपये से अधिक लागत के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर
प्रोजेक्ट के लिये राज्य शासन के आदेशानुसार पी.एफ.आई.सी. (PFIC) की स्वीकृति के उपरांत ही किसी भी विभाग द्वारा निर्मित किया जा सकता है।
रायपुर में स्काईवॉक निर्माण से संबंधित प्रोजेक्ट को वर्ष 2017 के माह मार्च में (जानबूझकर) रू. 49.08 करोड़ का
बनाकर लोक निर्माण विभाग द्वारा स्वीकृति जारी की गई। इस प्रोजेक्ट की लागत
जानबूझकर 50 करोड़ रूपये से कम रखी गई ताकि पीएफआईसी की
स्वीकृति न लेनी पड़े।
2. जल्द ही दिसंबर 2017 में इस प्रोजेक्ट की
तकनीकी कीमत को बढ़ाकर विभाग द्वारा 81.69 करोड़ रूपये करने का
प्रस्ताव वित्त विभाग को दिया गया। पी.एफ.आई.सी. ( PFIC) की कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव होते हैं तथा अन्य विभागों के सचिव इसके
सदस्य होते हैं। इस कमेटी में अन्य बातों के अलावा इस बात का भी परीक्षण किया जाता
है कि इतनी बड़ी धनराशि की अधोसंरचना परियोजना वास्तव में पर्याप्त जनोपयोगी की है
भी या नहीं।
3. यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि Revised
Technical Estimate (संशोधित तकनीकी प्राक्कलन) में Escalation
clause का प्रावधान कर 5.83 करोड़ किया
गया, जबकि यह प्रावधान मूल प्राक्कलन में ही रखा जाना चाहिए
था। इसी प्रकार Utility Shifting में मूल
प्रावधान मात्र रू. 90 लाख रखा गया, जबकि
माह दिसंबर तक इस पर रू. 5.94 करोड़ व्यय कर दिये गये थे।
इससे स्पष्ट होता है कि ऐसी सामान्य सी चीजें मूल प्राक्कलन में सिर्फ इसलिये नहीं
रखी गयी थी ताकि प्रस्ताव 50 करोड़ रूपये से कम का बने व
विभाग को यह प्रस्ताव पी.एफ.आई.सी में ना लाना पड़े, जहां इस
प्रकार के अतिरिक्त अपव्यय से संबंधित अधोसंरचना प्रस्तावों को रोका जा सकता था।
यह इस प्रोजेक्ट के पीछे की आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है।
4. ध्यान देने योग्य बात यह है कि लोक निर्माण विभाग ने दिनांक 04.02.2017
को मूल टेंडर जारी किया, दिनांक 20.02.2017
को निविदा प्राप्त कर ली, जबकि प्रकरण की
तकनीकी व शासकीय प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 08.03.2017 को
जारी की गई। इससे स्पष्ट है विभागीय मंत्री के दबाव में, अधिकारी
बिना नियमों का पालन किये कार्य कर रहे थे।
5. यह अत्यन्त गंभीर विषय है कि मंत्री राजेश मूणत ने दिनांक 23.04.2018
को अचानक स्काई वॉक के Architectural View में सुधार करने हेतु 12 परिवर्तन के निर्देश दिये
जिनका कोई Technical Justification पूरे
प्रस्ताव में कहीं नजर नहीं आता है। अकेले सिविल कार्य ही रू. 15.69 करोड़ से बढ़ा दिया गया। प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ने के कारणों में अन्य कारणों
के अलावा
1. ACP Wall cladding को सम्मानित किया गया,
जो गैर जरूरी था।
2. 8 स्थानों पर दुकानों का निर्माण सम्मिलित किया गया, जो गैर जरूरी था।
3. Chequered Tiles के स्थान पर Vitrified
Tiles का प्रावधान सम्मिलित किया गया, जो
गैर जरूरी था।
इससे यह प्रतीत होता है कि तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत, संबंधित ठेकेदार को अधिक भुगतान कराना चाहते थे।
6. यह टेंडर Form अर्थात Item
rate का Tender था इस
प्रकार के टेंडर में यदि Quantity 25 प्रतिशत से
अधिक बढ़ती है तो प्रत्येक Item का मार्केट
रेट Analysis कर ही नया Estimate बनाया जाता है। लोक निर्माण विभाग तथा वित्त विभाग ने बिना यह किये
ठेकेदार को अनुचित फायदा पहुंचाने हेतु पुनरीक्षित स्वीकृति जारी की।
7. राजेश मूणत ने आपराधिक षडयंत्र करते हुये माह दिसंबर 2018
में प्रक्रिया का पालन न करते हुये बड़ी अधोसंरचना परियोजना, बिना पी.एफ.आई.सी के अनुमति के रू. 77.01 करोड़ की
प्रशासकीय स्वीकृति जारी की। तत्कालीन वित्त सचिव तथा तत्कालीन वित्त मंत्री,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी इसमें गंभीर अनियमितताएं करते हुये
तथा प्रक्रियाओं का पालन किये बिना इसकी वित्तीय सहमति/अनुमति जारी की।
8. तीसरी अत्यंत गंभीर अनियमितता यह पाई गई कि दिनांक 05.12.2018
को जब चुनाव आचरण संहिता लागू थी तथा प्रदेश में विधानसभा के चुनाव
हो चुके थे, तब विभागीय सचिव ने ताबड़तोड़ Revised
Administrative Approvel हेतु वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा
तथा तत्कालीन वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी ताबड़तोड़ स्वीकृति
प्रदान कर दी, जबकि चुनाव हो चुका था व Model
code of conduct के हिसाब से ऐसा करना अपवर्जित था। वित्त
विभाग ने 11 दिसंबर 2018 को सुविधा की
स्वीकृति जारी की। इससे प्रतीत होता है कि इस प्रकरण में आपराधिक षडयंत्र कर
स्वीकृति जारी की गई जो पूर्णतः गलत मंशा से की गई है।