दुर्ग। भारतमाला परियोजना में
भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू (राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो) करेगी। सुशासन तिहार
के तीसरे चरण में दुर्ग पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने साफतौर पर कहा कि,
मुआवज वितरण में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों को बख्शा नही जाएगा।
उन्होने कहा जमीन अधिग्रहण से वंचित किसानों को भी मुआवजा का दिया जाएगा। सुशासन
तिहार के तहत मुख्यमंत्री दुर्ग मुख्यालय पहुंचे, जहां दुर्ग,
बलोद और बेमेतरा को लेकर समीक्षा बैठक की। बै
ठक के बाद प्रेसवार्ता में बताया कि,
राजनांदगांव के टेडेसरा और दुर्ग से होकर आरंग तक बनने वाले
सिक्सलेन परियोजना में जिले के दर्जनभर गांव के सौ से अधिक किसान प्रभावित हुए है,
लेकिन उन्हें मुआवजा नही मिला है। बहरहाल ईओडब्ल्यू को राज्य शासन
द्वारा जांच के निर्देश दिए है, जिसमें दुर्ग जिले के काला
चिट्ठा भी खुलेगा। इस मामले को लेकर दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर ने भी
कार्रवाई की मांग की थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि,
जल्द ही महतारी वंदन का पोर्टल भी शुरू किया जाएगा। जिसमें विवाह के
बाद आए नए बहुओं का नाम जोडा जाएगा। प्रेसवार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में
उन्होंने कहा युक्तियुक्तकरण में सिर्फ शिक्षकों का समायोजन होगा, स्कूल बंद नहीं होंगे। वहीं उन्होंने इस पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है।
उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने ऐसा शिक्षकों का ट्रांसफर किया कि, प्रदेश के तीन सौ स्कूल शिक्षकविहिन हो गए। जबकि पांच हजार स्कूल एकल
शिक्षक हो गए हे।
ऐसे में समायोजन का ही रास्ता शेष
है। सीएम ने कहा फर्जी रजिस्ट्री रोकने भी बड़ा बदलाव किया गया है,
जिसमें तत्काल नामांतरण और संपत्ति हस्तांतरण सिर्फ पांच सौ रूपए
में होंगे। प्रत्येक गांव में महिलाओं के लिए महतारी सदन खोला जाएगा। इस दौरान उप
मुख्यमंत्री विजय शर्मा, विधायक ललित चंद्राकर, डोमनलाल कोर्सेवाडा, ईश्वर साहू सहित बेमेतरा और
बालोद के अफसर भी मौजूद रहे।
नशे के खिलाफ दुर्ग में ही बड़ी
कार्रवाई
एक सवाल पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव
साय ने कहा कि, प्रदेश में सबसे बड़ी कार्रवाई
दुर्ग जिले में ही हुई है। पूर्व की सरकार नशे के खिलाफ सिर्फ वाहन और चालक पर ही
कार्रवाई करती थी। लेकिन वर्तमान में नशे के तार का पता लगाकर कार्रवाई हो रही है,
इसके लिए समाज को भी जागरूक होना पडेगा। उन्होंने प्रदेश में
गौ-अभ्यारण की शुरूआत होगी, जिसमें सौ से ज्यादा गौशाला खुलेंगी।
मवेशियों की सेवा के लिए दिए जाने वाले अनुदान को बीस से 25 लाख रूपए कर दिया गया
हैं।
उन्होंने कहा हम पेयजल बचाने अभियान
चला रहे है। जिसमें सकारात्मक बात यह रही है कि, किसान
इस बार गर्मी के फसल खराब होने पर खुद ही अगले पर धान के बजाय दूसरा फसल लेने प्रस्ताव
कर रहे है। पानी बचाने मोर गांव मोर पानी अभियान चलाया जा रहा हैं। उन्होंने कहा
इस बार डीएपी खाद की किल्लत रहेगी और यह विषय छग ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर
पर प्रभावित हो रहा है। इसके बदले किसानों को एनपीए का विकल्प दिया जा रहा हैं।