रायपुर
: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में आज
नवा रायपुर के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में दो दिवसीय चिंतन शिविर 2.0
का शुभारंभ हुआ। सुशासन एवं अभिसरण विभाग और आईआईएम रायपुर के सहयोग
से आयोजित इस शिविर में उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री
विजय शर्मा, मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद,
विधायक और प्रबुद्धजन शामिल हुए। इस मंच का उद्देश्य प्रशासनिक
दक्षता बढ़ाना, अंतर-क्षेत्रीय समन्वय को सशक्त करना और
जनकल्याण के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण विकसित करना है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा
कि यह शिविर आत्मनिरीक्षण और ज्ञान के आदान-प्रदान का अनूठा अवसर है,
जो छत्तीसगढ़ को सुशासन के नए आयामों तक ले जाएगा। उन्होंने पिछले
चिंतन शिविर से प्राप्त सुझावों को लागू कर आम जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव
लाने की बात कही। श्री साय ने बताया कि डेढ़ वर्षों में 350 से
अधिक प्रशासनिक सुधार किए गए, जिनमें ई-ऑफिस प्रणाली ने
फाइलों के मैनुअल ढेर को समाप्त कर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित की है। अब
फाइलें ऑनलाइन मूव होती हैं, और हर कार्य की समय-सीमा
निर्धारित है, जिससे भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हुई है।
छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष को अटल
निर्माण वर्ष के रूप में मनाते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय
अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि अटल जी के सुशासन
के सिद्धांतों को धरातल पर उतारना इस वर्ष का मुख्य लक्ष्य है। डिजिटल गवर्नेंस को
अपनाकर रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसमें
अब घर बैठे मिनटों में रजिस्ट्री और स्वतः नामांतरण हो रहा है। यह तकनीकी नवाचार
भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।
नई उद्योग नीति के तहत सिंगल विंडो
सिस्टम 2.0 और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
ने निवेश को प्रोत्साहन दिया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध छत्तीसगढ़ में कोर सेक्टर
की अपार संभावनाओं को देखते हुए विशेष अनुदान की व्यवस्था की गई है। पर्यटन को
उद्योग का दर्जा देकर और होम स्टे उद्यमियों के लिए अनुदान शुरू कर प्राकृतिक
सौंदर्य को आर्थिक अवसरों में बदला जा रहा है। इसके अलावा, एआई
और क्लाइमेट चेंज से जुड़े उद्यमों को प्रोत्साहन, नवा रायपुर
में देश का पहला एआई डाटा सेंटर पार्क और सेमीकंडक्टर यूनिट का शुभारंभ छत्तीसगढ़
को तकनीकी क्रांति का अग्रदूत बना रहा है।
शिविर में ‘प्रथम दिवस परिवर्तनकारी नेतृत्व और दूरदर्शी शासन’, ‘संस्कृति, सुशासन और राष्ट्र निर्माण’ और ‘सक्षमता से सततता तक: सार्वजनिक वित्त पर
पुनर्विचार’ जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए गए। डॉ. विनय
सहस्रबुद्धे, प्रो. हिमांशु राय, डॉ.
रविंद्र ढोलकिया, श्री संजीव सान्याल, उदय
माहुरकर और डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता जैसे प्रख्यात विशेषज्ञ अपने विचार साझा
किए।
मुख्यमंत्री ने बस्तर के विकास पर
विशेष जोर देते हुए कहा कि माओवाद पर प्रभावी कार्रवाई ने क्षेत्र में शांति और
प्रगति की राह खोली है। बस्तर ओलंपिक, बस्तर
पंडुम और बस्तर डायलॉग जैसे आयोजनों ने युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ा है। हाल ही
में बोधघाट परियोजना को मंजूरी मिलने से 7 लाख हेक्टेयर में
सिंचाई और 125 मेगावाट बिजली उत्पादन संभव होगा, जिससे हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नियद नेल्ला नार योजना से
शासकीय योजनाओं का सेचुरेशन सुनिश्चित किया गया है।
सुशासन तिहार के तहत 41
लाख से अधिक आवेदनों में से 99 प्रतिशत का
गुणवत्तापूर्ण निराकरण कर जनसमस्याओं का समाधान किया गया। समाधान शिविरों में जनता
से सीधा संवाद और शासकीय योजनाओं का पात्र लोगों को लाभ मिला। मुख्यमंत्री,
मंत्रिमंडल और जनप्रतिनिधियों ने गांव-गांव जाकर विकास कार्यों की
स्थिति का जायजा लिया। श्री साय ने कहा कि छोटे कस्बों में स्कूल, अस्पताल और मल्टीप्लेक्स जैसी सुविधाओं के लिए अनुदान की व्यवस्था से
पलायन रुकेगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। महतारी वंदन योजना और कृषक उन्नति
योजना ने बड़े तबके की आर्थिक ताकत बढ़ाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के
विकसित भारत के संकल्प को आत्मसात करते हुए विजन डाक्यूमेंट 2047 तैयार किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण
विकास का रोडमैप है।
मुख्यमंत्री ने गर्व के साथ उल्लेख
किया कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज में
छत्तीसगढ़ का स्टील उपयोग हुआ है। उन्होंने सुशासन एवं अभिसरण विभाग और आईआईएम
रायपुर को इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि चिंतन शिविर में प्राप्त सुझाव
विकसित छत्तीसगढ़ की ठोस नींव रखेंगे।