रायपुर। नगर निगम का जल विभाग
शहरवासियों की प्यास बुझाने गंगरेल डेम से रोज 250 क्यूसेक रॉ वाटर खरीद रहा है।
गर्मी तेज होने पर यह मात्रा बढ़कर 300 क्यूसेक तक पहुंच सकती है। शहर की पेयजल
जरूरत को पूरा करने गंगरेल डेम में 3.5 टीएमसी पानी सुरक्षित रखा गया है। यह
मात्रा शहरवासियों के सालभर की पेयजल आवश्यकता हिसाब से आंकी गई है। खास बात ये है,
जल विभाग ने सिंचाई विभाग से वर्ष 2030 का एग्रीमेंट कर रखा है।
वर्तमान में रायपुर शहर की पेयजल
जरूरत को ध्यान में रखते हुए 250 क्यूसेक रॉ वाटर गंगरेल डेम से छोड़ा जा रहा है।
माना नहर से होते हुए यह पानी फिल्टर प्लांट के हटौद और कोंडापार बैराज से होते
हुए खारून नदी तक पहुंच रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में इस समय रॉ वाटर का 350
एमएलडी लॉसेस में जा रहा है। वैसे शहर की पेयजल जरूरत हिसाब से 75 एमएलडी रॉ वाटर
पर्याप्त होता है। पर नहर से पानी आने और वाष्पीकरण की दर ज्यादा होने से यह
स्थिति बनी हुई है।
जनवरी से बंद है प्राकृतिक बहाव का
पानी
शहर की जीवनदायिनी खारुन नदी में
प्राकृतिक बहाव से आने वाला पानी जनवरी से मिलना बंद हो गया है। ऐसे में नगर निगम
का जल विभाग फरवरीसे ही शहरवासियों की पेयजल आपूर्ति करने गंगरेल डेम से पानी ले
रहा है। शहर की 45 नई व पुरानी पानी टंकियों से प्रतिदिन 300 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति
की जा रही है। शहर के बैरनबाजार की पुरानी पानी टंकी और देवेंद्र नगर की पुरानी
पानी टंकी का उपयोग भी संबंधित इलाके में पेयजल आपूर्ति के लिए किया जा रहा है।
वहीं अमृत मिशन के तहत जोन 9 के लाल
बहादुर शास्त्री वार्ड में 2 साल पूर्व बनाई गई लभांडी और फुंडहर की नई पानी टंकी अभी
शुरू नहीं हो पाई है। राइजिंग लाइन बिछाने और इंटर - कनेक्शन कार्य के लिए फंड
नहीं होने की वजह से इन दोनों पानी टंकियों का लाभ शहर के आउटर में रहने वाले
लोगों को नहीं मिल पा रहा है।