May 23, 2022


यूपी में राशन कार्ड सरेंडर कराने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा ने योगी सरकार को घेरा, सदन में उठाएंगी मामला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड को सरेंडर कराये जाने के मुद्दे पर कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा उर्फ  मोना ने योगी सरकार को घेरा है। लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर बुलाई गई प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने चुनावी लाभ के लिए गरीबों को धोखा दिया है, जिसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं है।

उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाएगी। इस मुद्दे पर सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। इस जनादेश ने एक बार फिर भाजपा की असली चाल, चरित्र और चेहरा उजागर कर दिया है।

आराधना मिश्रा ने कहा कि भाजपा के तमाम नेता और प्रधानमंत्री खुद बार-बार यह बताने से नहीं चूकते कि उन्होंने कोरोना काल में मुफ्त राशन कैसे बांटा, लेकिन हकीकत यह है कि लोगों को दो वक्त की रोटी भी चुनाव को ध्यान में रखकर दी गई। अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं तो लोगों के पेट में लात मारने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। 

उन्होंने कहा कि शासनादेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नए नियमों के तहत केवल वे लोग जिनके पास अपनी कोई जमीन नहीं है, जिनके पास पक्का घर नहीं है, उनके पास भैंस, बैल, ट्रैक्टर ट्रॉली नहीं है, वे ही राशन कार्ड का उपयोग करें।

मतलब गरीबी दूर करने की बजाय मोदी सरकार में गरीब रहने में ही फायदा है। शासनादेश कहता है कि ऐसे सभी मानदंडों के कारण अपात्र घोषित लोगों का राशन कार्ड तुरंत रद्द कर दिया जाएगा। अगर ये तथाकथित अपात्र खुद को राशन कार्ड नहीं देते हैं तो कोरोना जैसी महामारी के दौरान दिया गया राशन वसूल कर कुर्क किया जाएगा। 

आंकड़े बताते हैं कि देश के 84 फीसदी लोगों की आय घटी है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं। महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है और उस दौरान तय किया गया है कि अगर कोई राशन कार्ड धारक अपात्र पाया जाता है तो उससे वसूली मामूली कीमत पर नहीं बल्कि 24 रुपये प्रति किलो गेहूं, 32 रुपये प्रति किलो चावल की दर पर होगी।

इतना ही नहीं नमक, दाल और खाद्य तेल की रिकवरी बाजार भाव से की जाएगी। यह योगी सरकार की क्रूरता और संवेदनहीनता का जीता-जागता सबूत है।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर उठाया सवाल

उन्होंने कहा कि 2013 का खाद्य सुरक्षा अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 79.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 64.4 प्रतिशत लोगों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिलना चाहिए। भारत सरकार द्वारा जारी अप्रैल 2022 के खाद्यान्न बुलेटिन के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15.20 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन मिलना चाहिए।

तो अब सवाल यह भी है कि वास्तव में कितने लोगों को राशन दिया गया? राशन कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया, कितने लोग खाद्य सुरक्षा के लाभ से वंचित रहेंगे, और क्या उत्तर प्रदेश सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम की कानूनी आवश्यकता के रूप में अधिक से अधिक लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की व्यवस्था कर रही है। 

आराधना मिश्रा द्वारा उठाये गए कुछ प्रश्न 

  • क्या राशन कार्ड देते समय इन मानकों का इस्तेमाल किया गया था?
  • क्या राशन कार्ड देने के बाद मानक बदल गए हैं?
  • तथाकथित गलत राशन कार्ड के लिए अपात्रों को राशन कार्ड देने वाले अधिकारियों के खिलाफ पहली कार्रवाई क्यों नहीं?
  • अपात्रों के राशन कार्ड से राजस्व की हानि होती है तो अधिकारियों की क्या जवाबदेही होगी?
  • अगर आपका अपात्रता का बयान सही भी है तो चुनाव से पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
  • कानूनी आवश्यकता राशन कार्ड रद्द होने से कितने लोग खाद्य सुरक्षा के लाभों से वंचित रह जाएंगे?
  • उत्तर प्रदेश सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम (ग्रामीण क्षेत्रों में 79.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 64.4 प्रतिशत) की कानूनी आवश्यकता को पूरा करेगी?

उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले जो लोग मुफ्त राशन से बने लाभार्थियों की संख्या बताने में असफल नहीं हुए, उन्होंने अनाज की बोरियों पर अपनी तस्वीरें छापकर लोगों को लुभाया और भारत की जनता पर उपकार करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। आज क्यों चुनाव खत्म होते ही करोड़ों लोगों के मुंह से निवाला छीनने पर तुले हुए थे? क्या सिर्फ वोट के लिए लोगों का पेट भरा जा रहा था।

अब जब चुनाव खत्म हो गया है, तो क्या गरीबों को भूखा रहने दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि सरकार के इस संवेदनहीन रवैये के खिलाफ  कांग्रेस पार्टी घर-घर जाकर लड़ाई लड़ेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के युवा नेता तनुज पुनिया और संगठन सचिव अनिल यादव भी मौजूद थे।


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